नरकटियागंज आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के चयन प्रक्रिया में ग्रामीणों ने आम सभा में सरकार के नियमों का जमकर  किया विरोध 


 बताया जा रहा है कि कुकुरा पंचायत वार्ड नंबर 2 मैं आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका चयन के लिए आम सभा का आयोजन किया गया जिस आयोजन का समय 10:00 से 1:00 तक का था लेकिन महिला पर्यवेक्षिका 1:00 बजे वहां पहुंची तब तक कितने ग्रामीण जो आम सभा में उपस्थित हुए थे और जा चुके थे प्रखंड से मनोनीत प्रवेक्षक भी निकलने वाले थे तब तक एलएस का आगमन हुआ उसके बाद आम सभा कराइ गयी जिसमे सबसे पहले उस आमसभा में बिना कोई विधि बताए हुए सबकी उपस्थिति दर्ज करा लिया  जाता हैं और ग्रामीणों द्वारा पूछा जाता है तो बताया जाता है कि नहीं बाद में लोग नहीं कर पाते हैं वही महिला प्र्वेक्षीका जिनका नाम उषा बताया जा रहा है उन्होंने अपनी रजिस्टर भरने के लिए एक 10 साल के बच्चे सभी सिग्नेचर कराते दिखी ग्रामीणों का आरोप है की जब सरकार द्वारा आम सभा कराई जा रही है आम सभा की सहमति से चुनाव होने चाहिए नहीं तो यह आम सभा सिर्फ खानापूर्ति के लिए की जा रही है दिखावे के लिए की जा रही है जब सब कुछ पहले ही हो जा रहा है किसका होना है किसका नहीं होना है तो फिर आम सभा करने का मतलब क्या बनता है यही बात जब वह सभा के अध्यक्ष वार्ड सदस्य के पति से पूछा गया उन्होंने बताया कि यहां जिसका चयन किया जा रहा है उसके घर में नौकरी है लेकिन हमारी आमसभा यही चाहती है कि हम किसी जरूरतमंद को नौकरी दें नहीं तो यह आम सभा में हम सम्मिलित नहीं है उन्होंने आरोप लगाया की महिला पर्यवेक्षिका एक तो समय से नहीं आते हैं लोग और आते ही रजिस्टर पर साइन करवा लेते हैं लोग कोई नियम कानून नहीं है जब नियमावली पूछा जाता है तो बताया नहीं जाता है और बोला जाता है बस कैंसिल कर दीजिए कैंसिल कर दीजिए क्या इसी के लिए आम सभा की जाती है इसका जवाब हमें कौन देगा वह वार्ड सदस्य पति बता रहे हैं ऐसे 2 महीने पहले हमें बताया गया था कि जिसके घर में नौकरी है प्रतिनिधि है डीलर है उन्हें यह नौकरी नहीं दिया जा सकता लेकिन नए नियमावली ना ही मुझे बताया गया और ना ही मुझे कोई सूचना दिया गया और हमारे ग्रामीण भी इसका विरोध कर रहे हैं तो फिर बिना समझाए अपनी खानापूर्ति के लिए अपनी रजिस्टर मेंटेन करना और वहां से बिना बताए भाग जाना कहां तक सही है हम सरकार से मांग करते हैं कि जो भी नौकरी का चुनाव हो रहा है जरूरतमंद को नौकरी जिया जाए ना ही कुछ सिर्फ खानापूर्ति करने वालों की नौकरी दिया जाए वहीं ग्रामीणों ने भी इस सरकार के नियम को जमकर विरोध किया है

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