समाजसेवी डी आनंद हमारे आदर्श : दिनेश मुखिया
पेशे से शिक्षक व समाजसेवी दिनेश मुखिया से उनके द्वारा लगाए गए पौधों में पौधों की सेवा करते समय मुलाकात हो गई। पौधों की हरियाली देखकर मन बरबस पौधों में खिंचा चला गया। लगभग एक हजार पौधों की हरियाली देखते ही बन रही थी।
इस संबंध में पर्यावरण प्रेमी श्री मुखिया से यह पुछने पर की इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसकी प्रेरणा हमें जिले के वरिष्ठ समाजसेवी श्री डी आनंद तथा वरिष्ठ पर्यावरण प्रेमी श्री गजेंद्र यादव से मिली। जैसे ही डी आनंद का नाम आया मैंने सीधे आनंद जी के बारे में कुछ प्रश्न कर दिया। श्री मुखिया जो साधारण व्यक्तित्व के धनी हैं , दूब पर बैठ गए और बताने लगे कि वाल्मीकिनगर को फिल्मी हब का रूप दिलवाने में आनंद जी का महत्वपूर्ण योगदान है। जब भोजपुरी मृतप्राय हो गई थी तब कई फिल्मों व धारावाहिकों का निर्माण श्री आनंद ने इस पावन धरती से कराया। तत्पश्चात भोजपुरी को ज़ान मिली। श्री आनंद द्वारा संचालित कार्यक्रम गंडकी महाआरती इस क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। कार्यक्रम में स्थापित लोगों का आगमन तथा नवोदित कलाकारों को मंच देना अति महत्वपूर्ण कार्य है। भारत-नेपाल मैत्री को इनके कार्यक्रम से काफी प्रगाढ़ता मिली है। इस कार्यक्रम से पर्यावरण को बहुत सारा लाभ है। आनंद जी द्वारा संचालित कार्यक्रम दरीद्रनारायण भोज अपने आप में अद्वितीय है। इस व्यवस्था के तहत दिव्यांगों को खोज-खोज कर भोजन दिया जाता है। ऐसे महान व्यक्ति को मैं शत् शत् नमन करता हूँ। उनके विरोधियों के बारे में पूछने पर मुखिया जी ने बताया कि अग्रसर व्यक्तियों का विरोध स्वभाविक है। अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है। सामाजिक सेवा के क्षेत्र में आनंद जी ने जो योगदान दिया है वह जगजाहिर है। एक दिन वैसा समय भी आएगा जब वाल्मीकिनगर को डी आनंद के नाम से ही जाना जाएगा।
पेशे से शिक्षक व समाजसेवी दिनेश मुखिया से उनके द्वारा लगाए गए पौधों में पौधों की सेवा करते समय मुलाकात हो गई। पौधों की हरियाली देखकर मन बरबस पौधों में खिंचा चला गया। लगभग एक हजार पौधों की हरियाली देखते ही बन रही थी।
इस संबंध में पर्यावरण प्रेमी श्री मुखिया से यह पुछने पर की इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसकी प्रेरणा हमें जिले के वरिष्ठ समाजसेवी श्री डी आनंद तथा वरिष्ठ पर्यावरण प्रेमी श्री गजेंद्र यादव से मिली। जैसे ही डी आनंद का नाम आया मैंने सीधे आनंद जी के बारे में कुछ प्रश्न कर दिया। श्री मुखिया जो साधारण व्यक्तित्व के धनी हैं , दूब पर बैठ गए और बताने लगे कि वाल्मीकिनगर को फिल्मी हब का रूप दिलवाने में आनंद जी का महत्वपूर्ण योगदान है। जब भोजपुरी मृतप्राय हो गई थी तब कई फिल्मों व धारावाहिकों का निर्माण श्री आनंद ने इस पावन धरती से कराया। तत्पश्चात भोजपुरी को ज़ान मिली। श्री आनंद द्वारा संचालित कार्यक्रम गंडकी महाआरती इस क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। कार्यक्रम में स्थापित लोगों का आगमन तथा नवोदित कलाकारों को मंच देना अति महत्वपूर्ण कार्य है। भारत-नेपाल मैत्री को इनके कार्यक्रम से काफी प्रगाढ़ता मिली है। इस कार्यक्रम से पर्यावरण को बहुत सारा लाभ है। आनंद जी द्वारा संचालित कार्यक्रम दरीद्रनारायण भोज अपने आप में अद्वितीय है। इस व्यवस्था के तहत दिव्यांगों को खोज-खोज कर भोजन दिया जाता है। ऐसे महान व्यक्ति को मैं शत् शत् नमन करता हूँ। उनके विरोधियों के बारे में पूछने पर मुखिया जी ने बताया कि अग्रसर व्यक्तियों का विरोध स्वभाविक है। अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है। सामाजिक सेवा के क्षेत्र में आनंद जी ने जो योगदान दिया है वह जगजाहिर है। एक दिन वैसा समय भी आएगा जब वाल्मीकिनगर को डी आनंद के नाम से ही जाना जाएगा।
Comments
Post a Comment