जल विद्युत परियोजना के ट्रेक रेस पर कार्यरत श्रमिकों ने कार्य बाधित कर दिया धरना
26 जुलाई को सांसद को लिखे पत्र में 28 जुलाई का दिया था अल्टीमेटम अभी तक परियोजना के पदाधिकारी एवं नेताओं से नहीं मिला आश्वासन।
अश्वनी सिंह / ब्यूरो चीफ
बाल्मीकि नगर स्थित थे पूर्वी गंडक जल विद्युत परियोजना के ट्रेक रेस पर कार्यरत श्रमिकों ने पिछले 26 जुलाई को दिए अल्टीमेटम के अनुसार आज अपने कार्यस्थल पर कार्य को बाधित कर धरना प्रदर्शन किया और परियोजना के पदाधिकारियों को अभिलंब कार्य स्थल पर पहुंचकर उनके 5 माह का वेतन सहित उनकी कार्यप्रणाली को विभाग द्वारा संचालित करने के लिए आश्वासन देने को कहा। श्रमिकों का मांग है कि वे ठेकेदारी के अंदर काम नहीं करेंगे क्योंकि जल विद्युत परियोजना के विभाग के अंदर उन्हें 10 वर्ष पूर्व से ही रखा गया था तो अब वे किसी हालत में टेंडर पर दिए गए प्रणाली में हिस्सा नहीं लेंगे। श्रमिकों के अग्रणी जय श्री राम ने बताया कि विभाग के द्वारा दिए गए रजिस्टर पर ट्रक रेस पर कार्यरत श्रमिक अपना हाजिरी बनाते हैं और विभाग के द्वारा फिक्स किए गए वेतन को ही पाते हैं तो वह विभाग के अंदर हीरा कर काम करेंगे वह अपने आप को ठेकेदारी के अंदर रहकर काम करने से बिल्कुल इंकार कर गए हैं।
श्रमिकों ने बताया कि जब पिछली बार लव कुश बस कंपनी के मालिक सुरेंद्र कुशवाहा के द्वारा जल विद्युत परियोजना को ठेकेदारी पर चलाया जा रहा था तो उनके खिलाफ सभी श्रमिक मिलकर उच्च न्यायालय में केस दर्ज किए और यह काम विभाग के द्वारा ही बताए जाने पर श्रमिकों ने केस दर्ज किया तो फिर आज विभाग हमें बीएचपीसी का श्रमिक क्यों नहीं मान रहा है और हमारे बकाए वेतन का अविलंब भुगतान विभाग अपने स्तर से क्यों नहीं कर रहा है इसी बात पर सारे मजदूर अड़े हुए हैं और अपने कार्यस्थल पर धरना देकर कार्य को बाधित किए हुए हैं।
श्रमिकों ने बताया कि 1 अप्रैल 2009 से स्थानीय साइड इंचार्ज के द्वारा हम लोगों के वेतन से पर मंथ पीएफ के रूप में 235 रुपया काटा जाता था और विभाग उसमें ₹235 अपने अस्तर से जमा करती थी जिसका समय 1 अप्रैल 2009 से लेकर 31 मार्च 2011 तक रहा लेकिन जब हम सभी श्रमिक अपने पीएफ के बारे में मुजफ्फरपुर के कार्यालय में पहुंचे तो वहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने हमारे कागज को फर्जी बताया और बोला की ऐसा कोई भी कागज यानी हम विभाग के द्वारा कार्यालय में नहीं है इसलिए यह कागज फर्जी है बता कर श्रमिकों को वहां से लौटा दिया गया था। इन सभी दुखों को बताते हुए श्रमिकों ने अपने परिवार एवं स्वयं के भूख के कगार पर आने की बात कह कर भूखमरी का हवाला देते हुए आज 28 जुलाई को अपने कार्यस्थल पर पहुंचकर सभी श्रमिक धरना दिए और विभाग के अधिकारियों को बुलाने की मांग कर रहे थे।
इस बाबत जब हमने जल विद्युत परियोजना के मुख्य अभियंता से संपर्क साधा तो उन्होंने हमें इतना ही बताया कि वे श्रमिक बीएचपीसी के कर्मचारी नहीं है वे डेली वेज पर काम करते हैं। दूसरी तरफ परियोजना प्रभारी त्रिपुरारी जी ने बताया कि श्रमिकों का हम मार्च 2019 तक का वेतन देने आए थे मगर वे वेतन लेने से इंकार कर दिए अब हम उनके अकाउंट में इस पैसे को डालने के लिए बाध्य हो गए हैं यही कह कर सभी अधिकारी अपने बातों को टाल गए लेकिन मुख्य अभियंता ऑन कैमरा बात कहने से पूर्ण रूप से इनकार कर दिया।
26 जुलाई को सांसद को लिखे पत्र में 28 जुलाई का दिया था अल्टीमेटम अभी तक परियोजना के पदाधिकारी एवं नेताओं से नहीं मिला आश्वासन।
अश्वनी सिंह / ब्यूरो चीफ
बाल्मीकि नगर स्थित थे पूर्वी गंडक जल विद्युत परियोजना के ट्रेक रेस पर कार्यरत श्रमिकों ने पिछले 26 जुलाई को दिए अल्टीमेटम के अनुसार आज अपने कार्यस्थल पर कार्य को बाधित कर धरना प्रदर्शन किया और परियोजना के पदाधिकारियों को अभिलंब कार्य स्थल पर पहुंचकर उनके 5 माह का वेतन सहित उनकी कार्यप्रणाली को विभाग द्वारा संचालित करने के लिए आश्वासन देने को कहा। श्रमिकों का मांग है कि वे ठेकेदारी के अंदर काम नहीं करेंगे क्योंकि जल विद्युत परियोजना के विभाग के अंदर उन्हें 10 वर्ष पूर्व से ही रखा गया था तो अब वे किसी हालत में टेंडर पर दिए गए प्रणाली में हिस्सा नहीं लेंगे। श्रमिकों के अग्रणी जय श्री राम ने बताया कि विभाग के द्वारा दिए गए रजिस्टर पर ट्रक रेस पर कार्यरत श्रमिक अपना हाजिरी बनाते हैं और विभाग के द्वारा फिक्स किए गए वेतन को ही पाते हैं तो वह विभाग के अंदर हीरा कर काम करेंगे वह अपने आप को ठेकेदारी के अंदर रहकर काम करने से बिल्कुल इंकार कर गए हैं।
श्रमिकों ने बताया कि जब पिछली बार लव कुश बस कंपनी के मालिक सुरेंद्र कुशवाहा के द्वारा जल विद्युत परियोजना को ठेकेदारी पर चलाया जा रहा था तो उनके खिलाफ सभी श्रमिक मिलकर उच्च न्यायालय में केस दर्ज किए और यह काम विभाग के द्वारा ही बताए जाने पर श्रमिकों ने केस दर्ज किया तो फिर आज विभाग हमें बीएचपीसी का श्रमिक क्यों नहीं मान रहा है और हमारे बकाए वेतन का अविलंब भुगतान विभाग अपने स्तर से क्यों नहीं कर रहा है इसी बात पर सारे मजदूर अड़े हुए हैं और अपने कार्यस्थल पर धरना देकर कार्य को बाधित किए हुए हैं।
श्रमिकों ने बताया कि 1 अप्रैल 2009 से स्थानीय साइड इंचार्ज के द्वारा हम लोगों के वेतन से पर मंथ पीएफ के रूप में 235 रुपया काटा जाता था और विभाग उसमें ₹235 अपने अस्तर से जमा करती थी जिसका समय 1 अप्रैल 2009 से लेकर 31 मार्च 2011 तक रहा लेकिन जब हम सभी श्रमिक अपने पीएफ के बारे में मुजफ्फरपुर के कार्यालय में पहुंचे तो वहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने हमारे कागज को फर्जी बताया और बोला की ऐसा कोई भी कागज यानी हम विभाग के द्वारा कार्यालय में नहीं है इसलिए यह कागज फर्जी है बता कर श्रमिकों को वहां से लौटा दिया गया था। इन सभी दुखों को बताते हुए श्रमिकों ने अपने परिवार एवं स्वयं के भूख के कगार पर आने की बात कह कर भूखमरी का हवाला देते हुए आज 28 जुलाई को अपने कार्यस्थल पर पहुंचकर सभी श्रमिक धरना दिए और विभाग के अधिकारियों को बुलाने की मांग कर रहे थे।
इस बाबत जब हमने जल विद्युत परियोजना के मुख्य अभियंता से संपर्क साधा तो उन्होंने हमें इतना ही बताया कि वे श्रमिक बीएचपीसी के कर्मचारी नहीं है वे डेली वेज पर काम करते हैं। दूसरी तरफ परियोजना प्रभारी त्रिपुरारी जी ने बताया कि श्रमिकों का हम मार्च 2019 तक का वेतन देने आए थे मगर वे वेतन लेने से इंकार कर दिए अब हम उनके अकाउंट में इस पैसे को डालने के लिए बाध्य हो गए हैं यही कह कर सभी अधिकारी अपने बातों को टाल गए लेकिन मुख्य अभियंता ऑन कैमरा बात कहने से पूर्ण रूप से इनकार कर दिया।
Comments
Post a Comment