जमुनिया और धनौजी पंचायतों का एक गांव भवानी पुर जहा से निकलने का रास्ता नही है।
अश्वनी सिंह / ब्यूरो चीफ
गौनाहा / सहोदरा थाना क्षेत्र के जमुमिया और धनौजी पंचायत का एक ऐसा गांव है । भवानी पुर जीसपर आज तक नही हुआ सरकारी पदाधिकारियो या बड़े जनप्रतिनिधियों का नजर ।
भवानी पुर के ग्रामीण मुकेश कुमार शुनिल कुमार कुशवाहा मुकेश कुमार आजादी लाल महतो दिनेश महतो राम सकल महतो रामबिलास सिंह ओमप्रकाश महतो मोती लाल महतो शशि महतो संजय कुमार देवी लाल महतो राजा महतो मनोज कुमार दिलीप कुमार अशोक कुमार बिहारी लाल मिंटू
लाल धनेश कुमार देवानन्द महतो रमाकांत महतो श्री कांत महतो इंद्रजीत महतो सोना मति देवी सीता देवी फूल कुमारी देवी प्रभावती देवी शांति देवी आदि लोगों ने बताया कि यह गांव पूर्णतः वर्मीज शरणार्थियों का गांव है । उन्होंने बताया कि जब हमारे पूर्वजो को तत्कालीन कांग्रेसी सरकार इस उपेक्षित जगह पर लाकर बसाने का काम की थी । तभी हमारे पूर्वोजों ने इसका पुरजोर बिरुद्ध किए थे । लेकिन उस समय जनप्रतिनिधियों से लेकर सम्बन्धित पदाधिकारियों ने इनकी एक भी नही सुनी थी । उन्होंने बताया कि इस गांव से जमुनिया बाजार की दूरी लगभग तीन किलोमीटर है । जहाँ जाने के लिए गांव से पश्चिम एक बड़ा पहाड़ी नाला है । जिसमे सालोभर पानी रहता है । और नाले के ऊपर सन दो हजार सात आठ में एक पूल बनाया गया था । लेकिन वह पूल बरसात का पहला बाढ़ भी नही झेल सका था । और जमीन दोस हो गया था । उसके बाद ग्रामीणों ने आपस मे चंदा करने राशि इकट्ठा करके एक चार फीट चौड़ा और पचपन फिट लम्बा पूल बनाए । जिससे पैदल या दो पहिया वाहन आ जा सके । उन्होंने बताया कि इस पूल को पार करने के बाद रास्ते दो नाले पड़तें हैं । जीसपर ग्रामीणों ने तीन तीन पोल बनाकर रख दिए हैं । उन्होंने बताया गाव से निकले पर और नाला पर पुल पार करने के बाद सरकारी जंगल का जमीन पड़ता है । जिसमे कभी कभी लोगों को पैदल जाने से भी मना कर दिया जाता है । इन्होंने बताया कि इस गांव से निकलने के लिए एक रास्ता और भी है । जिसमे भी हरगोड़ा नदी पड़ती है । और उसमें भी सालो भर दल दल और पानी रहता है । उन्होंने बताया कि यदि इस हरगोड़ा नदी में पूल बन जाता है। तो इस गांव से गेनाहरिया गांव में दो किलोमीटर जाकर मुख्य सकड़ में मिल सकता है । और आवागमन सहज हो सकता है ।
ग्रामीणों ने बताया कि जब इस गांव में लोग बीमार पड़ते हैं । तब तीन किलो मीटर जमुनिया बाजार में खटिया पर ले जाना पड़ता है । और यदि रात्रि में बीमार हुए तो सुबह का इंतजार करना पड़ता है । क्योकि रास्ते मे डेढ़ किलोमीटर जंगल पड़ता है । और जंगल मे खूंखार जानवरो का बसेरा है । उन्होंने बताया कि सबसे बीहड़ बात यह है कि यदि किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है ।तब उस समय आफत आ जाता है । क्योंकि वह दर्द से तड़पती है । और उस समय वह ना तो खटिया पर लेट कर कंधो पर जा सकती है । और नाही दोपहिया वाहन पर बैठ ही सकती है । खासकर महिलाओं ने सरकार को जी भर के कोसा की लगता है । कि उनके घर मे मा बहन नही है । यदि होती तो वह लोग भी प्रसव पीड़ा को समझते । ग्रामीणों ने बताया कि हमलोगों को लगभग एक सौ एकड़ भुमि परती रहती है । क्योकि इस जंगल के जंगली जानवर हमारे फसलों को नष्ट कर देते हैं । उन्होंने बताया कि इस गांव के पूरब बगल से हरगोड़ा नदी बहती है । और बरसात में बाढ़ का पानी नदी के सतह से ऊपर आकर गांव में घुस जाता है । जिससे गांव में जल जमाव की स्थिति बना रहता है । और लोगो को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है । उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में बच्चों की पढ़ाई लिखाई बंद हो जाता है । उन्होंने बताया कि जो पूल हमलोग जनसहयोग से बनवाए हैं । वह भी पिछले दिनों के बाढ़ से बीच मे ही टुटकर दब गया है । वह कभी भी गीर सकता है । उन्होंने बताया कि इस गांव का सम्बंध दो पंचायतों से है । पहला जमुनिया पंचायत का वार्ड संख्या चौदह और दूसरा धनौजी पंचायत का वार्ड संख्या बारह है । लेकिन पंचायत प्रतिनिधियो का भी गांव से निकले के लिए रास्ते का थोड़ी भी चिंता नही होती है ।अंत मे ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा की यदि इस गांव से निकलने के लिए रास्ते को दुरुस्ती करण नही हुआ तो यहां के ग्रामीण किसी भी चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे । वही धनौजी पंचायत के मुखिया रणजीत बहादुर राय उर्फ मिंकू बाबू ने बताया कि इस नाला पर पंचायत से पूल नही बनाया जा सकता है । क्योंकि इतनी बड़ी राशि पंचायत निधि में नही आती है ।उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर से इसकी सूचना मुख्य मंत्री सड़क सम्पर्क सेतु योजना और सीमा बिकास योजना में दिया गया है । उमीद है कि इस गांव से निकलने के लिए सड़क और पूल बहुत जल्दी बन जाएंगे।
अश्वनी सिंह / ब्यूरो चीफ
गौनाहा / सहोदरा थाना क्षेत्र के जमुमिया और धनौजी पंचायत का एक ऐसा गांव है । भवानी पुर जीसपर आज तक नही हुआ सरकारी पदाधिकारियो या बड़े जनप्रतिनिधियों का नजर ।
भवानी पुर के ग्रामीण मुकेश कुमार शुनिल कुमार कुशवाहा मुकेश कुमार आजादी लाल महतो दिनेश महतो राम सकल महतो रामबिलास सिंह ओमप्रकाश महतो मोती लाल महतो शशि महतो संजय कुमार देवी लाल महतो राजा महतो मनोज कुमार दिलीप कुमार अशोक कुमार बिहारी लाल मिंटू
लाल धनेश कुमार देवानन्द महतो रमाकांत महतो श्री कांत महतो इंद्रजीत महतो सोना मति देवी सीता देवी फूल कुमारी देवी प्रभावती देवी शांति देवी आदि लोगों ने बताया कि यह गांव पूर्णतः वर्मीज शरणार्थियों का गांव है । उन्होंने बताया कि जब हमारे पूर्वजो को तत्कालीन कांग्रेसी सरकार इस उपेक्षित जगह पर लाकर बसाने का काम की थी । तभी हमारे पूर्वोजों ने इसका पुरजोर बिरुद्ध किए थे । लेकिन उस समय जनप्रतिनिधियों से लेकर सम्बन्धित पदाधिकारियों ने इनकी एक भी नही सुनी थी । उन्होंने बताया कि इस गांव से जमुनिया बाजार की दूरी लगभग तीन किलोमीटर है । जहाँ जाने के लिए गांव से पश्चिम एक बड़ा पहाड़ी नाला है । जिसमे सालोभर पानी रहता है । और नाले के ऊपर सन दो हजार सात आठ में एक पूल बनाया गया था । लेकिन वह पूल बरसात का पहला बाढ़ भी नही झेल सका था । और जमीन दोस हो गया था । उसके बाद ग्रामीणों ने आपस मे चंदा करने राशि इकट्ठा करके एक चार फीट चौड़ा और पचपन फिट लम्बा पूल बनाए । जिससे पैदल या दो पहिया वाहन आ जा सके । उन्होंने बताया कि इस पूल को पार करने के बाद रास्ते दो नाले पड़तें हैं । जीसपर ग्रामीणों ने तीन तीन पोल बनाकर रख दिए हैं । उन्होंने बताया गाव से निकले पर और नाला पर पुल पार करने के बाद सरकारी जंगल का जमीन पड़ता है । जिसमे कभी कभी लोगों को पैदल जाने से भी मना कर दिया जाता है । इन्होंने बताया कि इस गांव से निकलने के लिए एक रास्ता और भी है । जिसमे भी हरगोड़ा नदी पड़ती है । और उसमें भी सालो भर दल दल और पानी रहता है । उन्होंने बताया कि यदि इस हरगोड़ा नदी में पूल बन जाता है। तो इस गांव से गेनाहरिया गांव में दो किलोमीटर जाकर मुख्य सकड़ में मिल सकता है । और आवागमन सहज हो सकता है ।
ग्रामीणों ने बताया कि जब इस गांव में लोग बीमार पड़ते हैं । तब तीन किलो मीटर जमुनिया बाजार में खटिया पर ले जाना पड़ता है । और यदि रात्रि में बीमार हुए तो सुबह का इंतजार करना पड़ता है । क्योकि रास्ते मे डेढ़ किलोमीटर जंगल पड़ता है । और जंगल मे खूंखार जानवरो का बसेरा है । उन्होंने बताया कि सबसे बीहड़ बात यह है कि यदि किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है ।तब उस समय आफत आ जाता है । क्योंकि वह दर्द से तड़पती है । और उस समय वह ना तो खटिया पर लेट कर कंधो पर जा सकती है । और नाही दोपहिया वाहन पर बैठ ही सकती है । खासकर महिलाओं ने सरकार को जी भर के कोसा की लगता है । कि उनके घर मे मा बहन नही है । यदि होती तो वह लोग भी प्रसव पीड़ा को समझते । ग्रामीणों ने बताया कि हमलोगों को लगभग एक सौ एकड़ भुमि परती रहती है । क्योकि इस जंगल के जंगली जानवर हमारे फसलों को नष्ट कर देते हैं । उन्होंने बताया कि इस गांव के पूरब बगल से हरगोड़ा नदी बहती है । और बरसात में बाढ़ का पानी नदी के सतह से ऊपर आकर गांव में घुस जाता है । जिससे गांव में जल जमाव की स्थिति बना रहता है । और लोगो को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है । उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में बच्चों की पढ़ाई लिखाई बंद हो जाता है । उन्होंने बताया कि जो पूल हमलोग जनसहयोग से बनवाए हैं । वह भी पिछले दिनों के बाढ़ से बीच मे ही टुटकर दब गया है । वह कभी भी गीर सकता है । उन्होंने बताया कि इस गांव का सम्बंध दो पंचायतों से है । पहला जमुनिया पंचायत का वार्ड संख्या चौदह और दूसरा धनौजी पंचायत का वार्ड संख्या बारह है । लेकिन पंचायत प्रतिनिधियो का भी गांव से निकले के लिए रास्ते का थोड़ी भी चिंता नही होती है ।अंत मे ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा की यदि इस गांव से निकलने के लिए रास्ते को दुरुस्ती करण नही हुआ तो यहां के ग्रामीण किसी भी चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे । वही धनौजी पंचायत के मुखिया रणजीत बहादुर राय उर्फ मिंकू बाबू ने बताया कि इस नाला पर पंचायत से पूल नही बनाया जा सकता है । क्योंकि इतनी बड़ी राशि पंचायत निधि में नही आती है ।उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर से इसकी सूचना मुख्य मंत्री सड़क सम्पर्क सेतु योजना और सीमा बिकास योजना में दिया गया है । उमीद है कि इस गांव से निकलने के लिए सड़क और पूल बहुत जल्दी बन जाएंगे।
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